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कुपोषित बच्चों के हक पर डाका डालने वाले संविदा लेखापाल पर नहीं हुई कार्यवाही , मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने मिशन संचालक को भेजा था प्रस्ताव

कुपोषित बच्चों के हक पर डाका डालने वाले संविदा लेखापाल पर नहीं हुई कार्यवाही , मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने मिशन संचालक को भेजा था प्रस्ताव

डिंडोरी से राजेशविश्वकर्मा की खास रिपोर्ट - राज्य सरकार द्वारा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं पर सालाना लाखों - करोड़ों रुपए खर्च किए जाते है, और ना जाने ऐसी कितनी योजनाएं संचालित की जा रही है ,जिनका लाभ जिले के अंतिम छोर पर बैठे आखिरी व्यक्ति को भी मिलना चाहिए।लेकिन लापरवाह स्वास्थ्य अधिकारी और अफसरों की नजर अंदाजगी के चलते इन तमाम योजनाओं का लाभ आदिवासी अंचल की अवाम को नहीं मिल पा रहा है,और फिर हाल ही में एक ऐसा मामला संज्ञान में आया है जिसे पढ़ आप भी विचार करने पर विवश हो जाएंगे की कोई व्यक्ति अपने स्व स्वार्थ में इतना अंधा कैसे हो सकता है कि वह कुपोषित बच्चों को मिलने वाली सुख - सुविधाओं पर ही हांथ साफ करने लगे। जी हां लेकिन जिले के स्वास्थ्य विभाग में सब जायज है ,और ऐसा ही एक कारनामा यहां पदस्थ संविदा लेखापाल और एक महिला जो की आहार प्रदर्शक रही है ने कर दिखाया। और जब जॉच में सच सामने आया तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने पत्र क्रमांक/एन एच एम/2023/4129 डिंडोरी,दिनांक 09/10/2023,मिशन संचालक एन एच एम भोपाल को संदर्भित पत्र जांच टीम के प्रतिवेदन का हवाला देते हुए संविदा लेखापाल जिला चिकित्सालय डिंडोरी का स्थानांतरण अन्यत्र जिले में किए जाने प्रस्ताव पारित कर दिया। लेकिन बीते छह माह से संविदा लेखापाल आज भी इतना सब होने के बावजूद जिला अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे है,क्यों..? इसका जवाब तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ही बेहतर तरीके से दे पाएंगे।

कलेक्टर के निर्देश पर हुआ था जांच दल का गठन -- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डिंडोरी ने जो पत्राचार मिशन संचालक एन एच एम भोपाल को किया था उसके मुताबिक एन आर सी डिंडोरी में व्याप्त अनियमित्ताओं की जांच किए जाने हेतु कलेक्टर डिंडोरी के निर्देश पर तीन सदस्यीय जांच दल गठित कर जांच कराई गई थी। जिसमे जांच दल के द्वारा प्रस्तुत किए गए जांच प्रतिवेदन एवं अभिमत के अनुसार वर्ष 2014 से एन आर सी के लिए क्रय की गई सामग्रियों एवं खपत के संबंध में वांछित दस्तावेज उपलब्ध नहीं हुए थे,जो की गंभीर आर्थिक अनियमितता का घोतक है।पत्र में इस बात का जिक्र भी स्पष्ट तौर पर किया गया है की सामग्री के क्रय एवं खपत की संपूर्ण प्रक्रिया का संपादन मुख्य रूप से संविदा लेखापाल एवं आहार प्रबंधक एन आर सी जिला चिकित्सालय डिंडोरी के द्वारा की जाती थी। और क्रय प्रक्रिया ,सामग्रियों के मिलान की प्रक्रिया व देयकों के भुगतान की प्रक्रिया के संबंध में उक्त दोनों कर्मचारियों ने अलग - अलग कथन दर्ज कराए थे।

योजना में बरती घोर लापरवाही -- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डिंडोरी के ही मुताबिक जांच दल ने यह भी प्रतिवेदित किया था की इन दोनो ही कर्मचारियों द्वारा भर्ती किए गए कुपोषित बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए शासन की इस महत्वपूर्ण योजना के प्रति घोर लापरवाही ,उपेक्षा ,शासकीय मापदंडों के साथ - साथ मानवीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत आपत्तिजनक एवं निराशाजनक है। ऐसी स्थिति में संबंधित जवाबदेह कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार कठोर कार्यवाही करते हुए संविदा लेखापाल जिला चिकित्सालय डिंडोरी का अन्यत्र जिले में स्थानांतरण किया जाना उचित होगा।और फिर इसके बाद जैसे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डिंडोरी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र समनापुर में चल रही अंधेरगर्दी की तरह इस मामले को ही बिसर गए ,ऐसा प्रतीत होता है।
बहरहाल अपना काम है आदिवासी अंचल की भोली - भाली और मासूम अवाम को जगाना और मामले को प्रशासन के संज्ञान में लाना ,इसलिए हम कुकड़ू - कू तो करते रहेंगे।

इनका कहना है --

मैं फोन पर कोई जवाब नही दे सकता ,जानकारी देखकर ही बता पाऊंगा।
डॉ. रमेश मरावी ( मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डिंडोरी)

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